श्याम है होने को आई
कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें
क्यूँ न दोहराएं आज
बीते वह सुनहरे पल
कुछ कहे, कुछ अनकहे भी
मीठी यादों का ताना बाना बुन
आओ औड़ले उन पलों को आज
गुज़र जाएगी फिर श्याम यूँही
एक नयी सुबह की और ........
Namita
1 comment:
सटीक अभिव्यक्ति ... सुन्दर रचना
Post a Comment